दिल की बातों को दिल समझता है
दिल की बोली अजीब बोली है
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(767) Peoples Rate This
मकड़ी
ग़लत-फ़हमी की सरहद पार कर के
यूँ तो पत्थर बहुत से देखे हैं
हम से शायद मो'तबर ठहरी सबा
दिल में सज्दे किया करो 'मुफ़्ती'
वो ख़्वाब जैसा था गोया सराब लगता था
इक ज़रा सी बात पे ये मुँह बनाना रूठना
अजब है खेल कैरम का
कर बुरा तो भला नहीं होता
कैसा जादू है समझ आता नहीं
नफ़रतें न अदावतें बाक़ी हैं