वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ
हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ
Anwar Masood
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3183) Peoples Rate This
यारों की हम से दिल-शिकनी हो सके कहाँ
कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं
ताज़गी है सुख़न-ए-कुहना में ये बाद-ए-वफ़ात
दरिया-ए-हुस्न और भी दो हाथ बढ़ गया
रात दिन नाक़ूस कहते हैं ब-आवाज़-ए-बुलंद
क्या रोज़-ए-बद में साथ रहे कोई हम-नशीं
है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की
तीन त्रिबेनी हैं दो आँखें मिरी
हम ज़ईफ़ों को कहाँ आमद ओ शुद की ताक़त
है दिल-ए-सोज़ाँ में तूर उस की तजल्ली-गाह का
गया वो छोड़ कर रस्ते में मुझ को