सावन की इस रिम-झिम में
भीग रहा है तन्हा चाँद
Anwar Masood
Wasi Shah
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Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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क्या ख़बर क्या ख़ता मिरी थी कि जो
दुख उदासी मलाल ग़म के सिवा
ख़ूब थी अब मगर बदल सी गई
और तो कोई था नहीं शायद
दिन में जो साथ सब के हँसता था
रहती है सब के पास तन्हाई
जिस का डर था वही हुआ यारो
कुछ हवा का भी हाथ था वर्ना
दिल से दिल का रिश्ता होगा
रोते हैं जब भी हम दिसम्बर में
बड़ी मुश्किल से बहलाया था ख़ुद को