सताया आज मुनासिब जगह पे बारिश ने
इसी बहाने ठहर जाएँ उस का घर है यहाँ
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जो उस के होंटों की जुम्बिश में क़ैद था 'अशहर'
किसी को खो के पा लिया किसी को पा के खो दिया
तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था
भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है
रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
तेरे किरदार को इतना तो शरफ़ हासिल है
बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का