तेरे किरदार को इतना तो शरफ़ हासिल है
तू नहीं था तो कहानी में हक़ीक़त कम थी
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2328) Peoples Rate This
दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है
रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
जो उस के होंटों की जुम्बिश में क़ैद था 'अशहर'
बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का
तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से
वो भी कुछ भूला हुआ था मैं कुछ भटका हुआ
सोचता हूँ तिरी तस्वीर दिखा दूँ उस को
ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस को
कितने भूले हुए नग़्मात सुनाने आए
प्यास के बेदार होने का कोई रस्ता न था
'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं
मुद्दतों ब'अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल