अपने ही दिल अपनों का दुखाते हैं बहुत
गर नेक दिली से कुछ भलाई की है
जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल
चिड़िया के बच्चे
एक वक़्त में एक काम
पुर-शोर उल्फ़त की निदा है अब भी
नसीहत
इंसाँ को चाहिए न हिम्मत हारे
मकशूफ़ हुआ कि दीद हैरानी है
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार
किस तौर से किस तरह से क्यूँ कर पाया