आहटों के सराब में गुम हैं
शम्अ रौशन है सर-ए-बज़्म निगाहों में मगर
दिल से मजबूर आप से बेज़ार
दिल-ए-वीराँ को अब की बार शायद
मुझ को इन अर्ज़ी ख़ुदाओं ने अगर लूटा है
पा लिया फिर किसी उम्मीद ने फ़र्दा का सुराग़
नींद उड़ जाएगी रातों को शिकायत होगी