तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद