घर में सामाँ तो हो दिलचस्पी का
हादसा कोई उठा ले जाऊँ
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उसे न देख के देखा तो क्या मिला मुझ को
हम से जो आगे गए कितने मेहरबान थे
तलाश
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी
नहा कर भीगे बालों को सुखाती
जुर्म ओ सज़ा
मेरे सामने
इधर रहा हूँ उधर रहा हूँ
मैं नाहक़ दिन काट रहा हूँ
ये कहाँ दोस्तों में आ बैठे
लड़की अच्छी है 'अल्वी'
खिड़कियों से झाँक कर गलियों में डर देखा किए