तू नहीं तो ज़िंदगी आज़ार है तेरे बग़ैर

तू नहीं तो ज़िंदगी आज़ार है तेरे बग़ैर

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली पर बार है तेरे बग़ैर

ज़िंदगानी से किसे इंकार है तेरे बग़ैर

ज़िंदगानी है मगर बेकार है तेरे बग़ैर

आ कि पैहम अब ये हाल-ए-ज़ार है तेरे बग़ैर

हर-नफ़स इक तेज़-रौ तलवार है तेरे बग़ैर

नंग हो क्यूँ कर न मेरे वास्ते दुनिया मिरी

ज़िंदगी मेरी मुझे ख़ुद आर है तेरे बग़ैर

आ तुझे मेरी क़सम मुश्किल मिरी आसान कर

ज़ीस्त का हर मरहला दुश्वार है तेरे बग़ैर

पूछते हैं लोग मुझ से मेरी ख़ामोशी का हाल

बे-ज़बानी में मिरी गुफ़्तार है तेरे बग़ैर

लम्हा लम्हा है किसी का बे तिरे सूहान-ए-रूह

लम्हे लम्हे से कोई बेज़ार है तेरे बग़ैर

वास्ता तुझ को मसीहाई का तेरी जल्द आ

नज़्अ' के आलम में इक बीमार है तेरे बग़ैर

फ़स्ल-ए-गुल सब की नज़र में है मगर मेरे लिए

इक ख़िज़ाँ में आलम-ए-गुलज़ार है तेरे बग़ैर

ये बजा हर गुल है वज्ह-ए-ज़ीनत-ए-गुलशन मगर

मेरी दुनिया-ए-नज़र में ख़ार है तेरे बग़ैर

नूर से मा'मूर है हर गुल ब-सहन-ए-बोस्ताँ

क़तरा-ए-शबनम नज़र में तार है तेरे बग़ैर

ये बहाराँ ये शबाब सब्ज़ा-ए-नौ-रस न पूछ

बाग़ क्या है मादिन-ए-ज़ंगार है तेरे बग़ैर

इस फ़ज़ा-ए-अब्र में ग़ुस्ल-ए-हवाई की क़सम

मौजा-ए-बाद-ए-सबा आज़ार है तेरे बग़ैर

आ कि ये काली घटा अब तेरे गेसू की क़सम

इक बला सी बर-सर-ए-कोहसार है तेरे बग़ैर

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