रंज पर रंज मुसीबत सी मुसीबत देखी

रंज पर रंज मुसीबत सी मुसीबत देखी

हिज्र-ए-मौला में ये आराम की सूरत देखी

महव-ए-दीदार रहे हश्र में आशिक़ तेरे

आँख उठा कर न कभी ख़ुल्द की सूरत देखी

ले लिया वादा-ए-बख़्शिश भी दुहाई कर के

शाफ़े-ए-हश्र की उम्मत से मोहब्बत देखी

आ गई मुझ को नज़र ग़ायत-ए-चश्म-ए-मुश्ताक़

क़ब्र में आ के मोहम्मद की जो सूरत देखी

आज़माती है शब-ए-हिज्र मुझे क्या हमदम

मैं तो ख़ुश हूँ कि जुदाई की हक़ीक़त देखी

जल्वे का वा'दा क़यामत पे किया था मौक़ूफ़

आप के हिज्र में सौ बार क़यामत देखी

ख़ुश-नसीबी है कि मैं अशरफ़-ए-मख़्लूक़ हुआ

लिल्लाहिल-हम्द ग़म-ए-इश्क़ की लज़्ज़त देखी

ख़ार-ए-तैबा को गुल-ए-ख़ुल्द से बढ़ कर समझे

हम ने इन काँटों में वो बू-ए-मोहब्बत देखी

दौर-ए-साग़र से तो पहले ही न था होश मुझे

मैं ने साक़ी की निगाहों में करामत देखी

पर्दा-ए-हश्र में पोशीदा रखा अपना जमाल

उस ने जब तालिब-ए-दीदार की कसरत देखी

दुख़्तर-ए-रज़ की निगाहों से बचाए अल्लाह

आप ने 'रासिख़'-ए-मय-ख़्वार की हालत देखी

(562) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi In Hindi By Famous Poet Mohammad Yusuf Rasikh. Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi is written by Mohammad Yusuf Rasikh. Complete Poem Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi in Hindi by Mohammad Yusuf Rasikh. Download free Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi Poem for Youth in PDF. Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Ranj Par Ranj Musibat Si Musibat Dekhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.