सुनो
आओ इधर बैठो
हम अपने मसअलों का हल निकालें
तुम्हें जो भी परेशानी है मुझ से
जो तकलीफ़ें हैं
सब खुल कर बताओ
मगर घर छोड़ के ऐसे न जाओ
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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वस्ल
शायर
पिछली रात
जल्द-बाज़ी
मोहब्बत फिर से करते हैं
रिश्ते
इलाही रहम कर मुझ पर
ख़ामोशी
गुज़ारिश
नज़र को भाए जो मंज़र पहन के निकला है
मुद्दत से जो बंद पड़ा था आज वो कमरा खोल दिया
जिस तरह धूप का रंगत पे असर पड़ता है