जब से खोली है आँख दुनिया में
एक ही धुन सवार रहती है
जिस्म का खौल जो मिला है मुझे
साँस ले ले के तोड़ दूँ उस को
और धरती की गोद में चुप-चाप
आ के सो जाऊँ
मैं अमर हो जाऊँ
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वक़्त
रिश्ता
धुन
पिछली रात
रिश्ते
मैं उसे रोक न पाया
मेरी इक नज़्म
कभी कभी
गुज़ारिश
हमारे दिल में यादों को सलीक़े से रखा जाए
नज़र को भाए जो मंज़र पहन के निकला है
वस्ल