वक़्त

वक़्त बड़ा ज़ालिम है मोहसिन

उम्र को मेरी नोच नोच के खा जाता है

पी जाता है रोज़ तवानाई मेरी

राख मिरे माज़ी की हर दिन

मेरे ही बालों पर लीपता रहता

आँखों में तारीकी झोंकता रहता है

मेरे बदन पे झुर्रियाँ मलता रहता है

साँसों को दाँतों से काटता रहता है

तिल तिल कर के मुझ को मारता रहता है

वक़्त बड़ा चालाक भी है

आता है कब हाथ किसी के

लेकिन मेरे हाथ लगा तो

इस से इक इक ज़ुल्म का बदला ले लूँगा

और ख़ुदा के पास उसे पहुँचा दूँगा

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Waqt In Hindi By Famous Poet Mohsin Aftab Kelapuri. Waqt is written by Mohsin Aftab Kelapuri. Complete Poem Waqt in Hindi by Mohsin Aftab Kelapuri. Download free Waqt Poem for Youth in PDF. Waqt is a Poem on Inspiration for young students. Share Waqt with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.