देर से सो कर उठने वालो तड़पो लेकिन शोर न हो

देर से सो कर उठने वालो तड़पो लेकिन शोर न हो

तुम को हक़ है आईनों को तोड़ो लेकिन शोर न हो

हम-साए का सुख तो उस के ख़्वाब का पूरा होना है

तुम पर रिक़्क़त तारी हो तो रो लो लेकिन शोर न हो

शाम ढले पर्वाज़ सिमट कर शाख़ों पर आ जाती है

अपनी आँखें राहगुज़र में रक्खो लेकिन शोर न हो

दीवाने भी अहल-ए-समाअत की ख़िदमत कर सकते हैं

दिल होंटों पर आ जाए तो बोलो लेकिन शोर न हो

'मोहसिन' किस को फ़ुर्सत है जो तेशा ले कर आए यहाँ

अपने बुत को अपने हाथ से तोड़ो लेकिन शोर न हो

(473) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho In Hindi By Famous Poet Mohsin Asrar. Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho is written by Mohsin Asrar. Complete Poem Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho in Hindi by Mohsin Asrar. Download free Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho Poem for Youth in PDF. Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Der Se So Kar UThne Walo TaDpo Lekin Shor Na Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.