जवाब देता है मेरे हर इक सवाल का वो
मगर सवाल भी उस की तरफ़ से होता है
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सैलाबों के बा'द हम ऐसे दीवाने हो जाते हैं
मिरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है
दूरियों में क़राबतों का मज़ा
जिस दिन के गुज़रते ही यहाँ रात हुई है
हवा चराग़ बुझाने लगी तो हम ने भी
मुझे मलाल भी उस की तरफ़ से होता है
बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया
ख़ुद ही तस्लीम भी करता हूँ ख़ताएँ अपनी
समाअ'तों के लिए राज़ छोड़ आए हैं
तेरे बग़ैर लगता है गोया ये ज़िंदगी
ख़ुद को मैं भला ज़ेर-ए-ज़मीं कैसे दबाता
ख़्वाब को सूरत-ए-हालात बना जाता है