जैसे सज्दे में क़त्ल हो कोई
ऐसा होता है चाहतों का मज़ा
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(514) Peoples Rate This
जिस दिन के गुज़रते ही यहाँ रात हुई है
जब वाहिमे आवाज़ की बुनियाद से निकले
सताता वो अगर फ़ितरत से हट के
हम खड़े हैं हाथ यूँ बाँधे हुए
देर से सो कर उठने वालो तड़पो लेकिन शोर न हो
हम-साए का सुख तो उस के ख़्वाब का पूरा होना है
हम अपने ज़ेहन पर पहले उसे तारी करेंगे
ख़ुद को मैं भला ज़ेर-ए-ज़मीं कैसे दबाता
मुझे मलाल भी उस की तरफ़ से होता है
वो है आग वो पानी है
कार-ए-आसान को दुश्वार बना जाता है
ख़्वाब को सूरत-ए-हालात बना जाता है