जगह बदलने से हैअत कहाँ बदलती है
जो आइना है सदा आइना रहेगा वो
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
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गुज़र चुका है ज़माना विसाल करने का
कल रात वो झगड़ती रही बात बात पर
ख़ौफ़-ज़दा लोगों से रस्म-ओ-राह बढ़ाते फिरते हैं
जिस दिन के गुज़रते ही यहाँ रात हुई है
बहुत अच्छा तिरी क़ुर्बत में गुज़रा आज का दिन
ख़्वाब को सूरत-ए-हालात बना जाता है
जिस लफ़्ज़ को मैं तोड़ के ख़ुद टूट गया हूँ
तू ख़ुद भी जागता रह और मुझ को भी जगाता रह
हम-साए का सुख तो उस के ख़्वाब का पूरा होना है
ख़याल-ओ-ख़्वाब को पाबंद-ए-ख़ू-ए-यार रखा
दिलासा दे वगर्ना आँख को गिर्या पकड़ लेगा
मैं बैठ गया ख़ाक पे तस्वीर बनाने