हम अपने ज़ाहिर ओ बातिन का अंदाज़ा लगा लें
फिर उस के सामने जाने की तय्यारी करेंगे
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
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मिट्टी हो कर इश्क़ किया है इक दरिया की रवानी से
कार-ए-आसान को दुश्वार बना जाता है
जिस लफ़्ज़ को मैं तोड़ के ख़ुद टूट गया हूँ
दिलासा दे वगर्ना आँख को गिर्या पकड़ लेगा
देर से सो कर उठने वालो तड़पो लेकिन शोर न हो
ख़ौफ़-ज़दा लोगों से रस्म-ओ-राह बढ़ाते फिरते हैं
सैलाबों के बा'द हम ऐसे दीवाने हो जाते हैं
'मोहसिन' बुरे दिनों में नया दोस्त कौन हो
बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया
बहुत अच्छा तिरी क़ुर्बत में गुज़रा आज का दिन
जान जाए अगर तो जाने दे
हम खड़े हैं हाथ यूँ बाँधे हुए