Ghazals of Munawar Khan Ghafil

Ghazals of Munawar Khan Ghafil
नाममुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल
अंग्रेज़ी नामMunawar Khan Ghafil

ये कौन सा परवाना मुआ जल के लगन में

वो मेरा दर्द-ए-दिल क्या जानते हैं

तेग़-ए-पुर-ख़ूँ वो अगर धोए कनार-ए-दरिया

शाना तो छुटा ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ से उलझ कर

निगाह-ए-यार हम से आज बे-तक़सीर फिरती है

न पूछ हिज्र में जो कुछ हुआ हमारा हाल

मरते दम ओ बेवफ़ा देखा तुझे

क्यूँकर ये तुफ़-ए-अश्क से मिज़्गाँ में लगी आग

किसी के मैं लिबास-ए-आरियत को क्या समझता हूँ

किस तरह नाला करे बुलबुल चमन की याद में

जलवा-ए-बर्क़-ए-कम-नुमा हैं हम

हम फ़क़ीरों का सुने गर ज़िक्र-ए-अर्रा फ़ाख़्ता

हर उ'ज़्व-ए-बदन एक से है एक तिरा ख़ूब

हर कोई उस का ख़रीदार हुआ चाहता है

है कौन शय जिस की ज़िद नहीं है जहाँ ख़ुशी है मलाल भी है

गिल है आरिज़ तो क़द्द-ए-यार दरख़्त

चशम-ए-ख़ूँबार सा बरसे न कभू पानी एक

आ के सज्जादा-नशीं क़ैस हुआ मेरे बा'द

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