मुनव्वर राना कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनव्वर राना (page 3)

मुनव्वर राना कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुनव्वर राना (page 3)
नाममुनव्वर राना
अंग्रेज़ी नामMunawwar Rana
जन्म की तारीख1952
जन्म स्थानLucknow

पैरों को मिरे दीदा-ए-तर बाँधे हुए है

मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी

मुझ को गहराई में मिट्टी की उतर जाना है

मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता

मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं

मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ

महफ़िल में आज मर्सिया-ख़्वानी ही क्यूँ न हो

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

किसी ग़रीब की बरसों की आरज़ू हो जाऊँ

ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ

ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना

काले कपड़े नहीं पहने हैं तो इतना कर ले

जुदा रहता हूँ मैं तुझ से तो दिल बे-ताब रहता है

हम कुछ ऐसे तिरे दीदार में खो जाते हैं

हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और है

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं

दुनिया तिरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ

दोहरा रहा हूँ बात पुरानी कही हुई

दरिया-दिली से अब्र-ए-करम भी नहीं मिला

छाँव मिल जाए तो कम दाम में बिक जाती है

चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है

बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना

अना हवस की दुकानों में आ के बैठ गई

अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए

ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे

अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी

अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए

Munawwar Rana Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Munawwar Rana including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Munawwar Rana. Free Download all kind of Munawwar Rana Poetry in PDF. Best of Munawwar Rana Poetry in Hindi. Munawwar Rana Ghazals and Inspirational Nazams for Students.