Ghazals of Mushfiq Khwaja

Ghazals of Mushfiq Khwaja
नाममुशफ़िक़ ख़्वाजा
अंग्रेज़ी नामMushfiq Khwaja
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि2005
जन्म स्थानKarachi

ये क्या ज़रूर हमीं को वो आज़माएगा

ये कोई दिल तो नहीं है कि ठहर जाएगा

यही नहीं कि वो बे-ताब-ओ-बे-क़रार गया

सितम भी करता है उस का सिला भी देता है

क़दम उठे तो अजब दिल-गुदाज़ मंज़र था

नक़्श गुज़रे हुए लम्हों के हैं दिल पर क्या क्या

न अब वो ख़ुश-नज़री है न ख़ुश-ख़िसाली है

मिसाल-ए-अक्स कुंज-ए-ज़ात से बाहर रहा हूँ मैं

क्यूँ ख़ल्वत-ए-ग़म में रहते हो क्यूँ गोशा-नशीं बेकार हुए

क्यूँ ख़ल्वत-ए-ग़म में रहते हो क्यूँ गोशा-नशीं बेकार हुए

कुछ इस तरह से तेरा ग़म दिए जलाता था

कोई दिल तो नहीं है कि ठहर जाएगा

कभी पैग़ाम-ए-सुकूँ तेरी नज़र ने न दिया

काम कुछ आ न सकी रस्म-ए-शनासाई भी

जाने वाला जो कभी लौट के आया होगा

हम पे तन्हाई में कुछ ऐसे भी लम्हे आए

हुजूम-ए-हम-नफसाँ चारा-ए-अलम न हुआ

गुज़र गए हैं जो दिन उन को याद करना क्या

ग़म ही ले दे के मिरी दौलत-ए-बेदार नहीं

दहर को लम्हा-ए-मौजूद से हट कर देखें

चेहरा तो चमक दमक रहा है

ऐ मुश्फ़िक़-ए-मन इस हाल में तुम किस तरह बसर फ़रमाओगे

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