पाने की तरह का न तो खोने की तरह का

पाने की तरह का न तो खोने की तरह का

होना भी यहाँ पर है न होने की तरह का

मालूम नहीं नींद किसे कहते हैं लेकिन

करता तो हूँ इक काम मैं सोने की तरह का

हँसने की तरह का कोई मौसम मिरे बाहर

मंज़र मिरे अंदर कोई रोने की तरह का

ऐसी कोई हालत है कि मुद्दत से बदन को

इक मरहला दरपेश है ढोने की तरह का

पहले की तरह आदमी मिलता तो है लेकिन

आधे की तरह का कभी पौने की तरह का

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In Hindi By Famous Poet Nadeem Ahmad. is written by Nadeem Ahmad. Complete Poem in Hindi by Nadeem Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.