फ़ैसला हो गया है रात गए
लौटने वो गया है रात गए
वो सहर का सफ़ीर था शायद
रौशनी बो गया है रात गए
इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
दिल भी अब सो गया है रात गए
वक़्त काँटे नए बिछाएगा
रास्ते धो गया है रात गए
चैन पड़ता नहीं 'नईम' तुझे
जाने क्या खो गया है रात गए
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(405) Peoples Rate This
घड़ी जीता घड़ी मरता रहा हूँ
माँ
मोहब्बत में ख़ुदा भी मुब्तला है
हो गए हम शिकार फूलों के
वो मिरे दिल में यूँ समा के गई
इश्क़ वो चार सू सफ़र है जहाँ
तेरी आँखों के दो सितारे थे
जो उस आँख से निकला होगा
या हुस्न है ना-वाक़िफ़-ए-पिंदार-ए-मोहब्बत
सितारे
शुऊर-ए-ज़ात के साँचे में ढलना चाहता हूँ
किसी महल में न शाहों की आन-बान में है