Ghazals of Naseer Turabi

Ghazals of Naseer Turabi
नामनसीर तुराबी
अंग्रेज़ी नामNaseer Turabi
जन्म की तारीख1945
मौत की तिथि-
जन्म स्थानKarachi

वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी

तुझे क्या ख़बर मिरे बे-ख़बर मिरा सिलसिला कोई और है

सुकूत-ए-शाम से घबरा न जाए आख़िर तू

सबा का नर्म सा झोंका भी ताज़ियाना हुआ

सबा का नर्म सा झोंका भी ताज़ियाना हुआ

रचे-बसे हुए लम्हों से जब हिसाब हुआ

मिस्ल-ए-सहरा है रिफ़ाक़त का चमन भी अब के

मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता

मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता

मरहम-ए-वक़्त न एजाज़-ए-मसीहाई है

मैं भी ऐ काश कभी मौज-ए-सबा हो जाऊँ

कोई आवाज़ न आहट न ख़याल ऐसे में

इस कड़ी धूप में साया कर के

इंजील-ए-रफ़्तगाँ की हदीसों के साथ हूँ

हम-रही की बात मत कर इम्तिहाँ हो जाएगा

दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ

देख लेते हैं अब उस बाम को आते जाते

दर्द की धूप से चेहरे को निखर जाना था

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