इस से पहले कि बिछड़ जाएँ हम
दो-क़दम और मिरे साथ चलो
अभी देखा नहीं जी-भर के तुम्हें
अभी कुछ देर मिरे पास रहो
मुझ सा फिर कोई न आएगा यहाँ
रोक लो मुझ को अगर रोक सको
यूँ न गुज़रेगी शब-ए-ग़म 'नासिर'
उस की आँखों की कहानी छेड़ो
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(380) Peoples Rate This
ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा
ख़्वाब में रात हम ने क्या देखा
गली गली आबाद थी जिन से कहाँ गए वो लोग
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
आज तो बे-सबब उदास है जी
सुनाता है कोई भोली कहानी
तू असीर-ए-बज़्म है हम-सुख़न तुझे ज़ौक़-ए-नाला-ए-नय नहीं
सफ़र-ए-मंज़िल-ए-शब याद नहीं
ज़िंदगी जिन के तसव्वुर से जिला पाती थी
तिरे आने का धोका सा रहा है
दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया
पल पल काँटा सा चुभता था