हँसता पानी रोता पानी
मुझ को आवाज़ें देता था
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तिरे फ़िराक़ की रातें कभी न भूलेंगी
सूरज सर पे आ पहुँचा
मैं हूँ रात का एक बजा है
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
तेरी ज़ुल्फ़ों के बिखरने का सबब है कोई
हासिल-ए-इश्क़ तिरा हुस्न-ए-पशीमाँ ही सही
याद आता है रोज़ ओ शब कोई
वो दिल-नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं
तू ने तारों से शब की माँग भरी
न मिला कर उदास लोगों से
तिरे आने का धोका सा रहा है
चुप चुप क्यूँ रहते हो 'नासिर'