हमारे अहल-ए-चमन हम से सरगिराँ तो नहीं
वो चार तिनके सही नंग-ए-आशियाँ तो नहीं
हमारे चंद नशेमन जले बला से जले
हमारा सारा गुलिस्ताँ धुआँ धुआँ तो नहीं
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(960) Peoples Rate This
बेबादा भी ग़म से दूर हो जाता हूँ
मस्जिद-ओ-मंदिर कलीसा सब में जाना चाहिए
'प्रेमचंद' एक था एक से इक जहाँ बन गया
वो आइना हूँ जो कभी कमरे में सजा था
और तो कुछ न हुआ पी के बहक जाने से
सुना है कि उन से मुलाक़ात होगी
बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया
हैं यूँ मस्त आँखों में डोरे गुलाबी
यहाँ की फ़िक्र वहाँ का ख़याल रक्खा है
ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
साहिल पे अगर मिरा सफ़ीना आ जाए
बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का