बे-बादा भी ग़म से दूर हो जाता हूँ
ख़ुद हासिल-ए-सद सुरूर हो जाता हूँ
मतलब तो है चूर चूर हो जाने से
थक कर भी तो चूर चूर हो जाता हूँ
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ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
दिल की उजड़ी हुई हालत पे न जाए कोई
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
ऐ दाना-हा-ए-गंदुम देखो न मुस्कुरा के
बेबादा भी ग़म से दूर हो जाता हूँ
खुलती हैं वो मस्त आँखें हंगाम-ए-सहर ऐसे
जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
आस ही से दिल में पैदा ज़िंदगी होने लगी
मिरा मन है शहर-ए-गोकुल की तरह से साफ़-सुथरा
इस वक़्त ग़ज़ल की बात न कर
लिल्लाह मिरी सोज़िश-ए-पैहम को न छेड़
उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में