मिरा मन है शहर-ए-गोकुल की तरह से साफ़-सुथरा
मिरी साँस ऐसी जैसे कोई बाँसुरी बजाए
मिरी एक आँख गंगा मिरी एक आँख जमुना
मिरा दिल ख़ुद एक संगम जिसे पूजना हो आए
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
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अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक
ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
अक्सर इस तरह से भी रात बसर होती है
बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया
ईद मिलन
दिल की उजड़ी हुई हालत पे न जाए कोई
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
हर साँस में इक हश्र बपा है वाइ'ज़
हैं यूँ मस्त आँखों में डोरे गुलाबी
एक झोंका इस तरह ज़ंजीर-ए-दर खड़का गया
'प्रेमचंद' एक था एक से इक जहाँ बन गया
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई