उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में
एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(527) Peoples Rate This
निगाह ओ दिल भी क़दम की तरह मिला के चले
जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
पेशानी पे सय्याल नगीना क्यूँ है
हर साँस में इक हश्र बपा है वाइ'ज़
होली जवानी की बोली में
इस वक़्त ग़ज़ल की बात न कर
ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
हमारे अहल-ए-चमन हम से सरगिराँ तो नहीं
जब से वो कह के गए हैं कि अभी आते हैं
करम जब आम है साक़ी तो फिर तख़सीस ये कैसी
दिन ढला जाता है शाम आती है घबराता हूँ मैं
हैं यूँ मस्त आँखों में डोरे गुलाबी