कुछ दूर साथ गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर गई

कुछ दूर साथ गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर गई

फिर उस के बा'द ज़िंदगी जाने किधर गई

अपनों की बेवफ़ाई बड़ा काम कर गई

इस आग में हयात तपी और निखर गई

बेदारी-ए-बहार-ए-नज़र ही की देर थी

फिर जो भी चीज़ सामने आई सँवर गई

अब कोसता हूँ पुख़्तगी-ए-तजरबात को

जो मुझ को हर अज़ीज़ से बेगाना कर गई

अल्लाह रे जुनून-ए-तजस्सुस के मरहले

मेरी निगाह तुझ पे भी हो कर गुज़र गई

उस पर नज़र उठा के मैं 'नाज़िश' जो रुक गया

महसूस हो रहा है कि दुनिया ठहर गई

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In Hindi By Famous Poet Nazish Partap Gadhi. is written by Nazish Partap Gadhi. Complete Poem in Hindi by Nazish Partap Gadhi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.