जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Parveen Shakir
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अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
रुख़्सत होते वक़्त
नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं
नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद
दुख में नीर बहा देते थे सुख में हँसने लगते थे
नज़्म बहुत आसान थी पहले
जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता
नया सफ़र
बे-ख़्वाब नींद
अब किसी से भी शिकायत न रही