मेरी दुनिया संग ओ आहन उन की दुनिया चाँद सितारे
मेरी दुनिया संग ओ आहन उन की दुनिया चाँद सितारे
अक़्ल कहाँ तक दामन खींचे इश्क़ कहाँ तक हाथ पसारे
अपनी अपनी धुन में मगन हैं शामों सुब्हों के मतवाले
सुब्ह के आँसू कौन सुखाए रात के गेसू कौन सँवारे
आबला-पा रहगीरों को झरनों से दिल बहलाने भी दे
अज़्म-ए-जवाँ को और जवाँ कर अपनी मंज़िल दूर है प्यारे
छमछम छमछम नाचती मौजें ये सरगोशी करती जाएँ
तूफ़ानों की राह तकेंगे कब तक ये मजबूर किनारे
'नूर' अक़ीदों के शोलों में रूहें जलती देख चुकी हैं
तुम ही बताओ इन आँखों से आँसू टपकें या अँगारे
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