ठहर जाओ बोसे लेने दो न तोड़ो सिलसिला
एक को क्या वास्ता है दूसरे के काम से
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
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किसी के संग-ए-दर से एक मुद्दत सर नहीं उट्ठा
हिज्र में ग़म की चढ़ाई है इलाही तौबा
सुनते सुनते वाइ'ज़ों से हज्व-ए-मय
मैं चुप कम रहा और रोया ज़ियादा
अहल-ए-दुनिया बावले हैं बावलों की तू न सुन
मुतकब्बिर न हो ज़रदार बड़ी मुश्किल है
मुद्दत से इश्तियाक़ है बोस-ओ-कनार का
दिल पुकारा फँस के कू-ए-यार में
किस तरह कर दिया दिल-ए-नाज़ुक को चूर-चूर
जाता रहा क़ल्ब से सारी ख़ुदाई का इश्क़
है अपने क़त्ल की दिल-ए-मुज़्तर को इत्तिलाअ
मर चुका मैं तो नहीं इस से मुझे कुछ हासिल