कहें हैं रेख़्ता पंजाब में नज़र-साहिब
ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ तुम उन की सुनो हुआ सो हुआ
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
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आने वाला इंक़लाब आया नहीं
ऊँट सब वापस फिरे आगे कोई सहरा न था
अजब दश्त-ए-हवस का सिलसिला है
मेरा पसंदीदा मंज़र
मैं नज़र से एक अंदाज़-ए-नज़र होता हुआ
आएगी हर तरफ़ से हवा दस्तकें लिए
क़दम क़दम पर की रुस्वाई फिसला हर इक ज़ीने पर
दहन को ज़ख़्म ज़बाँ को लहू लहू करना
एक अंगड़ाई से सारे शहर को नींद आ गई
रख दी है उस ने खोल के ख़ुद जिस्म की किताब
पागल हवा के दोश पे जिंस-ए-गिराँ न रख
बदन की ओट से तकने लगा है