ज़मीं से ता-फ़लक छाई हुई है रौशनी-ए-ला

ज़मीं से ता-फ़लक छाई हुई है रौशनी-ए-ला

ये सारा शहर है मेरी नज़र में आँख का धोका

समुंदर में नदी बन कर उतर जाऊँ कहाँ तक मैं

निगल जाएगा पानी एक दिन सारा बदन मेरा

उगल देगी ज़मीं सब आग इक दिन अपने अंदर की

रखे कब तक भला ये बोझ सीने पर पहाड़ों का

नगर को लोग खुलता सा इक आईना समझते थे

मगर मुझ को नज़र आया कोई चेहरा न अपना सा

उसे में ढूँढता था रात की गहरी ख़मोशी में

न जाने किस तरह फिर शहर में मेरा हुआ चर्चा

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In Hindi By Famous Poet Premi Rumani. is written by Premi Rumani. Complete Poem in Hindi by Premi Rumani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.