मुबहम तख़य्युलात के पैकर तराशना
मुबहम तख़य्युलात के पैकर तराशना
है मश्ग़ला ख़लाओं में मंज़र तराशना
लड़ना हर एक लम्हा समुंदर से रात के
और ख़्वाब के जज़ीरे में इक घर तराशना
आँखों को मेरी आप ने सौंपा है ख़ूब काम
जुगनू उछालना कभी गौहर तराशना
पेशानियों पे लिखना ख़ुद अपना हमें नसीब
हाथों से अपने अपना मुक़द्दर तराशना
पैहम सुलगती धूप में जलना तमाम दिन
शब-भर हसीन ख़्वाबों के पैकर तराशना
क्या ख़ूब लुत्फ़ देने लगी ख़ुद-अज़िय्यती
अच्छा लगा ख़ुद अपना हमें सर तराशना
लहजे की नरमियों से 'क़मर' मेरा राब्ता
उन को अज़ीज़ तंज़ के नश्तर तराशना
(468) Peoples Rate This