पिया बाज प्याला पिया जाए ना
पिया बाज यक तिल जिया जाए ना
कही थे पिया बिन सुबूरी करूँ
कहया जाए अम्मा किया जाए ना
नहीं इश्क़ जिस दू बड़ा कोड़ है
कधीं उस से मिल बे-सिया जाए ना
'क़ुतुब' शह न दे मुज दिवाने को पंद
दिवाने कूँ कुच पंद दिया जाए ना
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(508) Peoples Rate This
सकी तुज ज़ुल्फ़ है जीवाँ के आख़िज़
मोहब्बत की सुल्तानी है सब जगत में
प्यारी सुहाती है अभरन सूँ भारी
सकी मुख सफ़्हे पर तेरे लिख्या राक़िम मलक मिसरा
मैं न जानूँ काबा-ओ-बुत-ख़ाना-ओ-मय-ख़ाना कूँ
पिया के नयन में बहुत छंद है
अज़ल थे है मुजे ख़ूबाँ सूँ इख़्लास
ख़बर लियाया है हुदहुद मेरे तईं उस यार-ए-जानी का
मदन मस्त बदल मस्त कजन मस्त परी मस्त
प्यारी के नैनाँ हैं जैसे कटारे
तिरे क़द थे सर्व ताज़ा है जम