आएगा मेरे बाद 'फ़रोग़' इन का ज़माना
जिस दौर का मैं हूँ मिरे अशआर नहीं हैं
Allama Iqbal
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(589) Peoples Rate This
सग-ए-हम-सफ़र और मैं
इश्क़ वो कार-ए-मुसलसल है कि हम अपने लिए
शायद गुलाब शायद कबूतर
शहर का शहर बसा है मुझ में
ख़ानम-जान
अपनी मिट्टी को सर-अफ़राज़ नहीं कर सकते
फूल ज़मीन पर गिरा फिर मुझे नींद आ गई
हवस का रंग ज़ियादा नहीं तमन्ना में
गीत के बाद भी गाए जाऊँ
इस्फ़न्ज की अंधी सीढ़ियों पर
जू-ए-ताज़ा किसी कोहसार-कुहन से आए
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं