इश्क़ वो कार-ए-मुसलसल है कि हम अपने लिए
एक लम्हा भी पस-अंदाज़ नहीं कर सकते
Anwar Masood
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(861) Peoples Rate This
अपनी मिट्टी को सर-अफ़राज़ नहीं कर सकते
देर तक मैं तुझे देखता भी रहा
हवा ने बादल से क्या कहा है
अपने ही शब ओ रोज़ में आबाद रहा कर
फ़स्ल तुम्हारी अच्छी होगी जाओ हमारे कहने से
क़ातिल
काली रेत
अपने हालात से मैं सुल्ह तो कर लूँ लेकिन
साँप वाली
गीत के बाद भी गाए जाऊँ
डॉक्टर फ़ानचो