आज भी
उस के दोनों हाथ
लरज़ रहे थे
और
हर उँगली के सिरे पर
एक सितारा चमक रहा था
Parveen Shakir
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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इस्फ़न्ज की अंधी सीढ़ियों पर
अपने हालात से मैं सुल्ह तो कर लूँ लेकिन
आँखों के कश्कोल शिकस्ता हो जाएँगे शाम को
हाथ हमारे सब से ऊँचे हाथों ही से गिला भी है
इश्क़ वो कार-ए-मुसलसल है कि हम अपने लिए
घर मुझे रात भर डराए गया
फ़स्ल तुम्हारी अच्छी होगी जाओ हमारे कहने से
ये सर्द रात कोई किस तरह गुज़ारेगा
कह रहे थे लोग सहरा जल गया
साँप वाली
डॉक्टर फ़ानचो
कमरा