हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है
आप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
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Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
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फूल ज़मीन पर गिरा फिर मुझे नींद आ गई
हाथ हमारे सब से ऊँचे हाथों ही से गिला भी है
जंगल से आगे निकल गया
इस्फ़न्ज की अंधी सीढ़ियों पर
नतशे ने कहा
अपने ही शब ओ रोज़ में आबाद रहा कर
साँप वाली
इम्पोस्टर
क़ातिल
दुनिया का वबाल भी रहेगा
कमरा
फ़स्ल तुम्हारी अच्छी होगी जाओ हमारे कहने से