इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
पहले हम लोग मोहब्बत से मिला करते थे
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(597) Peoples Rate This
नींद आती है मगर ख़्वाब नहीं आते हैं
थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम
तुम्हारे साथ कई रंज बाँटने हैं हमें
मुझ में ख़ुश्बू बसी उसी की है
कुछ अपनी फ़िक्र न अपना ख़याल करता हूँ
साथ रोने न सही गीत सुनाने आते
ज़ख़्म इस ज़ख़्म पे तहरीर किया जाएगा
या उन्हें आती नहीं बज़्म-ए-सुख़न-आराई
मिरी जगह पे कोई और हो तो चीख़ उट्ठे
यानी कोई कमी नहीं मुझ में
दश्त की प्यास किसी तौर बुझाई जाती
हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे