दर्द हो तो दवा करे कोई
उतरी है आसमाँ से जो कल उठा तो ला
दुनिया से अलग हम ने मयख़ाने का दर देखा
अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में
पैमाने में वो ज़हर नहीं घोल रहे थे
ये बला मेरे सर चढ़ी ही नहीं
नज़र आती है दूर की सूरत
अहल-ए-हरम से कह दो कि बिगड़ी नहीं है बात
आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
ख़ुदा के हाथ है बिकना न बिकना मय का ऐ साक़ी
ये गवारा कि मिरा दस्त-ए-तमन्ना बाँधे