ये रात दिन का बदलना नज़र में रहता है

ये रात दिन का बदलना नज़र में रहता है

हमारा ज़ेहन मुसलसल सफ़र में रहता है

नज़र में उस की तो वुसअ'त है आसमानों की

गो देखने को परिंदा शजर में रहता है

हमारा नाम वो ले ले तो लोग चौंक उट्ठें

कि फ़र्द फ़र्द हमारे असर में रहता है

शजर शजर जो समर है तो देख ख़ुद को भी

जहान-ए-नौ का तसव्वुर समर में रहता है

हर एक बात का बिल्कुल यक़ीन आया मगर

हमारा ख़ौफ़ तुम्हारे अगर में रहता है

तुझे गुमाँ है कि मंज़िल पे तो पहुँच भी गया

हर एक शख़्स यहाँ रहगुज़र में रहता है

उसे सुकून है इस से कि हम को चैन नहीं

बस इक जुनून हमारी ख़बर में रहता है

नहीं है कुछ भी वो ऐ 'साद' बस ख़याल सा है

मगर ख़याल का सौदा तो सर में रहता है

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In Hindi By Famous Poet Saadullah Shah. is written by Saadullah Shah. Complete Poem in Hindi by Saadullah Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.