फिर लाई है बरसात तिरी याद का मौसम
गुलशन में नया फूल खिला देख रहा हूँ
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वो सर-ए-शाम बाम पर आए
लोग करते हैं ख़्वाब की बातें
वक़्त बढ़ता रहा मौसम मौसम
दिल की धड़कन के पयामात से डर जाते हैं
दूर घाटी से सर उठा के शफ़क़
अब उठाओ नक़ाब आँखों से
आज पनघट पर इस तरह थी भीड़
मौसमों का जवाब दे दीजे
आज की रात
इस तरह दिल में शब-ए-तन्हाई
और मोड़ ने कहा
आँखों के गुलाबों को नज़्मों में छुपा लूँगा