Ghazals of Saleem Siddiqui

Ghazals of Saleem Siddiqui
नामसलीम सिद्दीक़ी
अंग्रेज़ी नामSaleem Siddiqui

यूँ तिरी चाप से तहरीक-ए-सफ़र टूटती है

यक़ीं की धूप में साया भी कुछ गुमान का है

तुझ को पाने के लिए ख़ुद से गुज़र तक जाऊँ

शब के पुर-हौल मनाज़िर से बचा ले मुझ को

मंज़र-ए-ख़ेमा-ए-शब देखने वाला होगा

ख़्वाहिश-ए-तख़्त न अब दिरहम-ओ-दीनार की गूँज

कौन कहता है कि यूँही राज़दार उस ने किया

इतनी क़ुर्बत भी नहीं ठीक है अब यार के साथ

हूँ पारसा तिरे पहलू में शब गुज़ार के भी

ग़म-ए-हयात मिटाना है रो के देखते हैं

इक दरीचे की तमन्ना मुझे दूभर हुई है

बदन क़ुबूल है उर्यानियत का मारा हुआ

अपने जीने के हम अस्बाब दिखाते हैं तुम्हें

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