जो हो सके तो एक रोज़
ए'तिबार के अज़ाब से गुज़ार दे मुझे
कि एहतिमाल और है
सिफ़र नहीं तो फिर सिफ़र से जंग क्या
ख़ुदा के वास्ते मुझे बता
अगर किसी का इंतिज़ार ही न था
तो सारी उम्र किस के इंतिज़ार में गुज़र गई
जमाल-ख़ाँ-अचक-ज़ई
मेरा सवाल और है
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रात अपने ख़्वाब की क़ीमत का अंदाज़ा हुआ
1
एक कुत्ता नज़्म
मैं तो ख़ुदा के साथ वफ़ादार भी रहा
दर्द पुराना आँसू माँगे आँसू कहाँ से लाऊँ
बद-गुमानी
मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूँ
पोस्टर
घर
एक सुअर से
बाद-ए-निस्याँ है मिरा नाम बता दो कोई
लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं