Ghazals of Saqib Lakhnavi
नाम | साक़िब लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saqib Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1869 |
मौत की तिथि | 1946 |
जन्म स्थान | Lucknow |
यूँ अकेला दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-नाकाम था
ये आह-ओ-फ़ुग़ाँ क्यूँ है दिल-ए-ज़ार के आगे
वस्ल की उम्मीद बढ़ते बढ़ते थक कर रह गई
न आसमान है साकित न दिल ठहरता है
मिलता जो कोई टुकड़ा इस चर्ख़-ए-ज़बरजद में
मैं नहीं कहता कि दुनिया को बदल कर राह चल
कौन इन लाखों अदाओं में मुझे प्यारी नहीं
कहाँ तक जफ़ा हुस्न वालों की सहते
इबरत-ए-दहर हो गया जब से छुपा मज़ार में
हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगे
हज़ार फूल लिए मौसम-ए-बहार आए
ग़श भी आया मिरी पुर्सिश को क़ज़ा भी आई
बस ऐ फ़लक नशात-ए-दिल का इंतिक़ाम हो चुका
असीर-ए-इश्क़-ए-मरज़ हैं तो क्या दवा करते